Case #22 - 22 दरवाजे पर एक भेडिया


मेट्ट एक सफल व्यापारी था । उसने अपना ज्यादातर वयस्क जीवन अपने बारे में जानने में, अधययन करने में, स्वयँ सहायता करना सिखाने वाली पुस्तकें, और अपनी सकारात्मक गति बनाने में व्यतीत किया था । अभी हाल ही में हुए उसके तलाक ने उसके जीवन को एक नये संबंध के कारण नया मोड़ दिया था । उसकी पिछली पत्नी बहुत आलो्चनात्मक थी, विशेषतया उसकी आर्थिक स्थिति और कामकाजी जीवन को लेकर क्योंकि वह अमीर नहीं था । उसने हमेशा उस पर उसकी आर्थिक सफलता को ले कर आघात किया था । वो मेरे पास अपने काम करने के स्थान पर घबराहट का दौरा पड़ने के अनुभव के बाद आया । वह लगभग सारा दिन 'लकवे' से ग्रसित रहा ।

इसका एक कारण उसका अपनी पूर्व पत्नी से सुबह का वार्तालाप लगता था, जो चाहती थी कि वो अपने सुबह के सारे कार्यक्रम रद्द करके उन दोनों के बेटे को लेने आये क्योंकि उसकी कार गैराज में जानी थी । हमेशा की तरह, उसके साथ बात करते हुए वह कटु, इल्जाम लगाने वाली तथा आलोचनात्मक थी ।

जो भी हो, हाल में भी बहुत सारी घटनाएँ हुई थीं – वह एक ठेका, जिसकी उसे उम्मीद थी, प्राप्त नहीं कर पाया था; बहुत सारे खातों में देर से देनदारी हो रही थी; वह अपने पेशे को बनाने में बहुत सी सकारात्मक चीजें कर रहा था, जिसमें से एक किताब लिखना भी था, लेकिन इसमें से किसी ने भी तात्कालिक प्रभाव से फल नहीं दिया; एक पिछला सांझेदार उसके ऊपर केस कर रहा था; और अंत में जब उसने अपने बैंक खाते को देखा तो उसमें केवल 100 डालर ही बचे थे । मैंने उससे पूछा कि मुझे यह सब बताते हुए उसे कैसा लग रहा था । वो जो कुछ हो रहा था उसके बारे में अपने विचार बताता रहा, अपने बहुत सी पिछली बातों को दोहरा्ता रहा…लेकिन मैंने उसे बीच में ही रोक उसके अपने शारीरिक अनुभव में बताने के लिये कहा ।

उसने कहा कि पिछली बार जब उसे घबराहट का दौरा पड़ा था तो उसके शरीर को लगा था कि वो एक सीधी जैकेट में है । अब वो कमजोर, डरा हुआ महसूस कर रहा था, विशेषतया छाती में । मैंने उसे अपनी भावनाओं पर धयान देने के लिये कहा…उसने गौर किया कि उसे गर्मी लग रही थी, और एक डर की परत थी । उसने कहा कि यह एक विदेशी आक्रमणकारी की तरह था । उसने फिर वो उपमा दी जो उसके पिता द्वारा दी जाती थी – दरवाजे पर भेड़िया । सामान्यतया, जब उसका आत्मविश्वास ज्यादा होता था तो वह चुनौतियों का सामना कर सकता था । लेकिन इस समय, जब उसके आत्मविश्वास ने उसका साथ छोड़ दिया था तो भेड़िया उस पर काबू पा सकता था ।

मैंने ये सुझाव दिया कि भेड़िया न केवल दरवाजे पर था, वह उसके ऊपर चढ़ कर खड़ा था। इसलिये मैंने उससे ये कल्पना करने के लिये कहा कि भेड़िया उसके ऊपर चढ़ा हुआ था । उसने कहा 'उसकी थूक मुझ पर गिर रही है' । इसलिये,मैंने उससे कहा कि ऐसा महसूस करे कि जैसे भेड़िये ने उसको नीचे दबोच कर रखा था, और वह भेड़िये का हाँफना सुने और उसकी थूक अपने चेहरे पर गिरती हुई महसूस करे ।

मैंने उससे कहा कि वह भरपूर साँस ले, और डर को अपने सारे शरीर में महसूस करे, और वर्तमान में रहे । मैंने उससे कहा कि वो अपने शरीर में बहुत अधिक मात्रा में शक्ति महसूस करेगा और अगर किसी भी समय यह शक्ति बहुत अधिक हो जाती है, तो वह प्रक्रिया को रोक सकता था । उसने वैसा ही किया और उसका शरीर ऐंठन में झटके लेने लगा । कुछ देर बार उसने आँखें खोली और हैरानी से बताया कि उसे अपने शरीर में बहुत सारी शक्ति महसूस हुई थी।

मैंने फिर उसे ये कल्पना करने के लिये कहा कि वह भेड़िया था, मेट्ट के ऊपर चढ़े हुए उसकी थूक गिर रही थी । मैंने उससे मेट्ट से बात करके कुछ संदेश देने के लिये कहा । कुछ देर बाद उसने आँखें खोली । उसकी चेतना में अंधकार छा गया था। उसने कहा 'दर-असल यह एक अक्लमंद भेड़िया है' ।

उसको समझ में आया कि उसे एक भेड़ समझा जाता था, और उस स्थिति में, वह कमजोर था, अपना पक्ष नहीं रख पाता था, उस पर काबू किया जा सकता था और उसका आत्मविश्वास कम था । भेड़िया उसका अपना ही त्यागा हुआ हिस्सा था, जो चुनौतियों से लड़ने के लिये शक्ति से भरपूर था, व्यक्तिगत तथा व्यवसायिक रुप से । इस प्रक्रिया में मैंने पहचान का प्रयोग किया और विशेषतया उन संकेतों से शुरुआत करके जिन्हे शारीरिक अनुभव ने बताया था । मैंने आक्रमित से संबंध का अनुसरण किया क्योंकि यह स्पष्टत: केवल प्रत्यक्ष धमकी से ज्यादा था, उसको डर के कारण लकवा मार गया था – खतरे का एक बहुत ही नजदीकी अनुभव ।

इसलिये, गेस्टाल्ट के तरीके में, हम सीधे ही खतरे के अनुभव में प्रवेश करते हैं लेकिन पर्याप्त सहायता के साथ । फिर हम उसके दूसरे तरफ के बिंदु की तरफ जाते हैं – खतरनाक होते हुए, विभाजित के उपचार के लिये ।



 प्रस्तुतकर्ता  Steve Vinay Gunther