Case #19 - आकर्षण ता सीमाएँ
डी एक नवयौवना थी जिसने अपने डर के बारे में बताया । मैंने पूछा, तुम्हे किस चीज का डर है ? उसने कहा वो आदमियों से डरती है । मैंने उसे स्पष्ट करने के लिये कहा । उसने बताया कि उसे पुरुषों का ध्यान अपनी ओरचाहिये लेकिन वह उससे डरती भी है । मैंने उसे स्वयं को दोनों चिकित्सक तथा अधयापक बताया, लेकिन मैं भी एक आदमी हूँ । उसने कहाँ, हाँ, लेकिन वो मुझे वास्तव में वैसा नहीं मानती है ।
ममेरा ध्यान मुद्दे को अभी और इसी समय में लाने का और एक संबंध स्थापित करने में था । ज्यादा जागरूकता लाने में और एक संबंध के विकास के लिये मैं स्वयँ को एक साधन की तरह प्रयोग करना चाहता था । इसलिये मैंने कहा कि असलियत तो यही है कि मैं एक पुरुष हूं इसलिये यह देखने के लिये कि यह उसके लिये कैसा है, यह फायदेमन्द रहेगा । उसने कहा कि इससे दहशत होती है । मैंने पूछा क्यों । क्योंकि मैं उसे आकर्षक पा सकता हूँ ।
उसके साथ गल्त क्या है ? क्योंकि मुझे उससे प्रेम हो सकता है और उसके लिये एक मुश्किल स्थिति पैदा हो सकती है । इसलिये मैंने उससे कहा कि मुझसे सीधे तौर पर कहे कि मैं तुमसे प्यार में नहीं पड़ना चाहती, मैं तुम्हारे लिये उपलब्ध नहीं हूँ । अपनी सीमा निर्धारित करने पर उसे काफी अच्छा महसूस हुआ । फिर मैंने उसे अपना अनुभव भी बताया । मैंने कहा कि मैं भी उसके प्रेम में नहीं पड़ना चाहता । तुम मुझे आकर्षक तो लगती हो लेकिन हकीकत में तुम और मैं अपनी सीमा में रह सकते हैं ।
फिर उसके बाद हमने कुछ बातचीत की जिसमें मैंने उसको बताया कि मुझे उसके आकर्षक लगने से कैसा लगा और ये सब उसको कैसा लगा । वो अपने मुद्दे के छोर पर थी – अपनी ओर धयान तो चाहती थी लेकिन डरती भी थी ।
इसलिये एक सुरक्षित तरीके से परखने पर, उसे अपने ठीक होने का अनुभव होता, अपनी सीमाएँ निर्धारित करने में और उन्हे व्यक्त करने में सक्षम होती, और आकर्षण को बहुत ज्यादा न होने दे कर उससे निपट पाती । उसने इस बातचीत में कई बार शर्मिंदगी महसूस की । इसलिये, मैंने इसका केन्द्रबिंदु अपने और अपने अनुभव की ओर कर लिया । मैंने उसे बताया कि ये सारी चीजें मुझे भी आसान नहीं लगती हैं – ये कुछ ऐसा है जिसे कई बार अपनी चेतना से बाहर निकालना चाहा है । इसलिये ये अच्छा है कि इसे एक-दूसरे को बता पायें और बिना नियन्त्रण खोने के डर से वर्तमान क्षण में उसका अनुभव कर पायें ।
उसके लिये काफी तरीकों से ये एक नया अनुभव था और उसे अपनी सीमाएँ तय करने में, विषय के बारे में बात करने में, और संबंध में बिना किसी मुश्किल के कामुकता के पक्ष के बारे में जागरुक होने के लिये उसमें एक विश्वास आया था । गेस्टाल्ट प्रमाणिकता पर जोर देता है और उसे जागरूकता को बढ़ाने की प्रक्रिया में प्रयोग करता है और उस जागरुकता को संबंध के बीच ले कर आता है ।
प्रस्तुतकर्ता Steve Vinay Gunther