Case #27 - 27 नैतिक शुद्धता


नजाह्न एक छोटी सी कंपनी चलाता था । उसकी चिंता यह थी कि वह नैतिक रूप से बहुत ही ईमानदार व्यक्ति था । बाजार में, जहाँ कुछ भी चलता है, उसके बड़े पक्के नियम थे और वह उन पर कायम रहता था । वह अपने परिवार के साथ भी ऐसा ही था – अपने कर्तव्यों को गंभीरता से लेता था, अपने माता-पिता की इज्जत करता था और परम्परा पर चलता था ।

फिर भी उसे भारी-भारी और दबाव सा लगता था और वह अपने से प्रश्न करता था कि शायद नैतिक शुद्धता अच्छी चीज नहीं थी, या फिर वास्तव में उसका व्यापार बैठ सकता था क्योंकि वह वैसी बेईमान तरकीबें नहीं अपनाना चाहता था जो उसके प्रतिस्पर्धी अपनाते थे (जैसे कि उद्योग संबंधी जासूसी) । मैंने पहले उन तरीकों के गुण पहचानने चाहे जिन तरीकों से वह इस संसार में रहना चाहता था, लेकिन उस पर कोई असर नहीं पड़ा । उसको यह चिंता थी कि वास्तविक संसार में इससे उसको कुछ नहीं मिलेगा लेकिन साथ ही साथ वह अपने सख्त नैतिक ढांचे पर कायम रहना चाहता था ।

इसलिये मैंने उसे दो विरोधी चीजें बताने के लिये कहा – इतिहास में से ऐसा किरदार जो नैतिक रूप से ईमानदार आदमी को दर्शाता था और फिर कोई ऐसा किरदार जिसके लिये 'सब चलता है' । उसने दो को चुना और मैंने उससे कहा कि वह बारी-बारी उनका स्थान ले और उनसे संवाद करे । उसे यह बहुत ही मुश्किल लगा और बार-बार किरदार से बाहर आना चाहता रहा । उसने पूछा 'क्या मैं दोनों को एक कर सकता हूँ ?' लेकिन एकीकरण इतनी आसानी से नहीं होता ।

जब वह अपने ईमानदार किरदार को निभा रहा था तो उसने बताया कि वह चीनी होने की गहरी और लम्बी परम्परा का अनुसरण कर रहा था जबकि दूसरे किरदार में वह उन मूल्यों के साथ समझौता कर रहा था । इसलिये यह स्पष्ट था कि परम्परा को मानने में उसके महत्व की सीमा चीनी सभ्यता का गहन सदाचार मूल्य थे । इसलिये, मैंने ये सुझाव दिया कि वह दोनों किरदारों से बाहर आये और अपनी सीट पर बैठ कर दोनों किरदारों से बात करे । उसने परम्परा को स्वीकार किया और फिर यह भी स्वीकार किया कि शायद वह दूसरे पक्ष से कुछ काम का सीख सके । यह उसके लिये बहुत बड़ा कदम था ।

ममैंने उसे यह सुझाव दिया कि वह एक सम्राट के समान है जिसके एक के बजाय दो सलाहकार थे पर अंतिम निर्णय उसका अपना था ।यह सुनकर उसने काफी अच्छा महसूस किया और अपने नये 'सलाहकार' की कीमत को जान पाया । उसने बताया कि उसके व्यक्तिगत जीवन में इसका एक पहलू था, जहाँ वो चीजों को इतनी गंभीरता से लिया कि उसे कभी यह महसूस नहीं हुआ कि उसे कभी छुट्टी मिली थी । इसलिये हमने दो और सलाहकार बनाये, एक वह जो उसे उसकी जिम्मेदारियों की याद दिलाये और दूसरा वह जो धृष्ट, गैर-जिम्मेदार और मस्ती करने वाला हो ।

एक बार फिर उसने दो सलाहकार पा कर राहत महसूस की लेकिन अंतिम निर्णय लेने के लिये वही सक्षम था । मैंने उसे मस्ती करने वाले किरदार में एक वास्तविक व्यक्ति के बारे में बताने के लिये कहा। उसने अपने चचेरे भाई के बारे में बताया । पिछली बार उसने अपने चचेरे भाई को नकारात्मक रूप में देखा था, अब वह उसे प्रशंसनीय रूप में देख सकता था, और उसके साथ समय व्यतीत करने के बारे में भी सोच सकता था ।

अहमने गेस्टाल्ट के दिशानिर्देश, जो यह मानते हैं कि हरेक गुण के लिये एक विपरीत गुण भी होता है, विरोधाभासों के लिये प्रयोग किये । किसी एक ही पक्ष के साथ चलने से आदमी बंट जाता है । गेस्टाल्ट की दिशा एकीकरण की ओर है, जो एक वास्तविक प्रक्रिया से होनी चाहिये जिसमें दोनों पक्षों के साथ सम्पर्क हो, बजाये इसके कि इसे बौद्धिक तरीके से समझाया जाये ।

उसके लिये प्रयोग का प्रचलित तरीका सहज नहीं था (सीधा संवाद), इसलिये आसामी की स्वेच्छा से और उसकी जानकारी देने पर हमें हमेशा ही उसी स्थान पर प्रयोग को बदलने के लिये लचीले रूप से तैयार रहने की आवश्यकता है ।



 प्रस्तुतकर्ता  Steve Vinay Gunther