Case #30 - 30 कामुक न ोने का एक अच्छा कारण


ब्रिजिट ने अपनी पीठ के निचले हिस्से में और जननेन्द्रिय क्षेत्र में अकड़न बताई । उसके तलाक को 5 साल हो गये थे और उसके बाद से वह कोई और संबंध नहीं बना पाई थी । उसने बताया कि उसके पति ने उसे चोट पहुँचाई थी । उसने कभी यौन-संबंधों में उत्साह नहीं दिखाया था, जब कि उसके पति ने बहुत बार कई तरीकों से भरपूर कोशिश की थी, और ये कि उनके संबंध में कई बहुत अच्छी बातें भी थी ।

मैंने उससे पूछा कि उसने खासतौर पर उसे कैसे चोट पहुँचाई थी, लेकिन वह इसे बता नहीं पाई । उसने कहा कि उसे लगता था कि वह उसकी तरफ नहीं आता है, इसलिये यही वह चीज है जिससे उसको चोट पहुँचती थी । लेकिन ऐसा लगता था कि उसके पति ने उसे चोट पहुँचाने के लिये विशेष रूप से कुछ नहीं किया था । इसलिये ये तीर कहीं और ही निशाना लगा रहे थे । उसने तब बताया कि वास्तव में उसे अपने शरीर में बने रहने की भावना नहीं रही थी । मैंने भी अपने अलगाव का अनुभव उसे बताया, और यह भी मुझे अपने शरीर में पूर्ण रुप से रहने में मुश्किल होती थी ।

उसने कहा कि उसे शक है कि यह उसके माता-पिता द्वारा उसके भाई को बुरी तरह से पीटने से उत्पन्न हुआ था । उसके बाद उसे तस्करों द्वारा उठा लिया गया था, और वह पांच वर्ष बाद ही उन्हे पत्र लिख पाया था, और वहां से बच पाया था । परन्तु, उसके बाद वह गलियों में भिखारियों के साथ घूमता रहता था, चोरी करता था, कई बार जेल गया और जब उसने उसकी सहायता की कोशिश की तो उसने उसके यहाँ भी चोरी की । उसने बताया कि 15 साल पहले उसके पिता का देहांत हो गया और तभी से उसका भाई ठीक था, खुश था और एक अच्छा जीवन कर रहा था ।

मफिर भी, उसे अभी भी बहुत पीड़ा और अपराधबोध होता था कि वो उसकी पिटाई के लिये कुछ नहीं कर पाई थी । मैंने उसे बताया कि उसके पास उस समय कोई सहारा नहीं था – बताने के लिये कोई भी नहीं था, उसे सान्तवना देने के लिये कोई भी नहीं था । मैंने यह प्रस्ताव दिया कि, मान लिया जाये कि उसकी पीड़ा अभी भी मौजूद थी, मैं उसके साथ बैठकर अपनी बाजू उसके चारों ओर करता हूं ताकि उसे ये लगे कि जो सहारा उसके पास कभी नहीं था, वह उसके पास है ।

जैसे ही मैंने ये किया, उसने अत्यधिक गहरी पीड़ा से सुबकना शुरू कर दिया । वो हाँफने लगी तो मैंने उसे पकड़ा, और फिर उसने सांस ली । और, वर्तमान में रहते हुए उसने अपने रोने में अत्यधिक पीड़ा को महसूस किया । कुछ देर बार उसका रोना बंद हो गया, और वह स्थिर और चुप हो गई । मैंने उससे बात की ।

तब, वह बैठ गई और मेरी तरफ देखा । उसने कहा 'मैं अब तुम्हे कुछ देना चाहती हूँ' । मैंने उसमें एक बदलाव महसूस किया और अपने जोश में भी । मैंने कहा, मैं वह महसूस कर सकता हूँ, मुझे जोशीला महसूस हुआ । उसने बताया कि उसे भी अपने सारे शरीर में जोश महसूस हो रहा था ।

मैंने उससे पूछा कि वो मुझे क्या देना चाहती थी, लेकिन कुछ समय तक उसे कहने के लिये शब्द नहीं मिले । फिर उसने कहा 'मैं तुम्हारी आँखों को अपनी आँखों से चूमना चाहती हूँ' । मैं उसका खुलापन और हम दोनों के बीच उर्जा का प्रवाह महसूस कर पा रहा था । मैंने कहा, अब तुम अपने शरीर में हो, और एक संबंध के लिये तैयार हो । उसने सिर हिलाया । मैंने उसकी अपनी पहली भावना(अकड़न महसूस होना) को नहीं लिया, और न ही दूसरी (सामान्य तौर पर उसके शरीर में भावनाओं की कमी) भावना को लिया । मैंने उससे बातचीत की और तब तक इन्तजार किया जब तक कुछ और निकल कर नहीं आया, जो कि उसका पारिवारिक अधूरापन था ।

ऐसे आघात को देखने से उस पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ा था, और इसके बावजूद कि उसके भाई ने अंतत: अपने जीवन को फिर से सुधार लिया था, वो अभी भी उसी पीड़ा और अपराधबोध के साथ चल रही थी । वो तब तक आगे नहीं बढ़ पा रही थी जब तक उसके दर्द को महसूस नहीं किया जा सकता था और उसे सहारा नहीं दिया जाता ।

मऐसे अनुभव को दे कर एक बहुत ही मजबूत ठीक होने वाले अनु्भव की शुरूआत हुई, जिससे कि वह तत्काल ही अपनी पीड़ा और अपराधबोध से छुटकारा पा सकी, और अपनी यौन-संबंधी भावनाओं के लिये उपलब्ध हुई ।



 प्रस्तुतकर्ता  Steve Vinay Gunther