Case #37 - 37. अत्याचार करने वाला भाा और रक्षा करने वाला भाला


मेरा अनुमान था कि सीलिया 30 और 40 वर्ष के बीच होगी, लेकिन वास्तव में वह 51 वर्ष की थी और उसके बच्चे भी थे. प्रशंसनीय यह था कि उसका जीवन बहुत संघर्षपूर्ण रहा था, लेकिन वो शांत दिखती थी, और इसलिए वह नवयुवा का आभास देती थी. यह ऐसी चीजें थीं जिन पर काम करने के लिए मेरे पास समय नहीं था, हालांकि मैंने भविष्य के लिए इसे नोट कर लिया था. यह हमेशा ही महत्वपूर्ण रहता है कि तात्कालिक प्रभाव को पहचान लिया जाये, और जाने-पहचाने आसामियों को भी असंगतियों या चिकित्सा के लिए उनकी प्रासंगिक चीजों को नये तरीके से देखा जाना चाहिये.

जो मुद्दा वह ले कर आई थी वह इस बारे में था कि जिस विषय पर उसने प्रशिक्षण लिया था वह उस विषय पर काम करने से डर रही थी. वह एक समाजसेवी बनना चाहती थी, और अब जब उसके बच्चों ने घर छोड़ दिया था, यह उसका एक घोषित लक्ष्य था. इसके बजाय कि मैं उसके आत्मविश्वास पर काम करूँ या फिर उसके डर का पता लगाऊं, मैं सन्दर्भ को जानना चाहता था – उसके आसपास के वातावरण का उसे ऐसा करने के लिए दिया जाने वाला समर्थन. यह कोई समस्या नहीं थी क्योकि उसे पेशेवर समाजसेवी कार्यकर्ताओं का समर्थन प्राप्त था.

परन्तु जब मैंने आगे पूछा तो उसने बताया कि वह दशकों से घरेलू हिंसा के वातावरण में रह रही थी. यह मुझे बड़ा अजीब लगा कि और उसकी समाज सेवा संबंधी आकाक्षाओं पर उसकी 10 साल की पढाई और चिकित्सा में या तो यह उभर कर नहीं आया या उसके शिक्षिकों ने किसी कारण से यह जिम्मेदारी नहीं समझी कि इससे भी निपटा जाये. चिकित्सा में न केवल भावनाओं पर केन्द्रित होना महत्वपूर्ण है, लेकिन सन्दर्भ पर भी केन्द्रित होना आवश्यक है, विशेषतया तब जब सन्दर्भ वर्तमान में अत्याचार कर रहा हो. इसे चिकित्सा का केंद्रबिंदु रखना जरूरी है.

इसलिए मैं दूसरे मुद्दों से निपटने के लिए इच्छुक नहीं था, जब तक कि इसकी जड़ – उसके समझ में आने वाले डर को – खत्म न किया जाये. उसने बताया कि हिंसा होनी अभी हाल ही में बंद हुई थी. मैंने उसके पास बैठ कर अपनी भावनाओं के बारे में बताया – खुले दिल से, मुद्दे के साथ गंभीरता से जुड़े रह कर, उसे समर्थन देना चाहते हुए, लेकिन बहुत सतर्कता और एक सम्मानपूर्ण तरीके से. मैंने उसे बताया कि डर लगभग एक पारिवारिक सदस्य की तरह है. वह सहमत थी. मैंने उससे डर को एक पहचान देने के लिये कहा – उसने कहा कि एक आकार है जिसने काले कपडे पहने हुए हैं, उसकी आँखें बड़ी-बड़ी हैं, एक मुस्कराहट और भाले के साथ. उसने वर्णन दिया कि यह भयानक था.

ममैंने उससे विस्तार से वर्णन करने को कहा – कपड़े कैसे दिखते थे. मैं वास्तव में उसे उसके डर के साथ जोड़ना चाहता था. फिर मैंने उसे गेस्टाल्ट प्रयोग में भाग लेने के लिये कहा – डर बनो – ये दिखाओ कि डर बड़ी आँखे लिये अपने भाले के साथ कैसे खड़ा था. उसने ऐसा ही किया और मैंने भी उसके साथ ऐसा ही किया. कभी-कभी आसामियों के साथ ऐसे प्रयोग करना अच्छा होता है. फिर मैंने उसे दोबारा बैठने के लिये कहा – मैं वह प्रयोग ज्यादा समय के लिए नहीं करना चाहता था. वर्णन करना ही अपने आप में एक बहुत बड़ी बात थी.

उसने कहा कि उसे लगता था कि इस प्रक्रिया में मैंने उसे बहुत कुछ दिया था, और वह और लेते हुए हिचकिचाहट महसूस कर रही थी – जैसे कि उसे मुझे कुछ वापिस करना था. उसने बताया कि उसे स्कूल में पढ़ाया गया था कि वह केवल आदमियों के लिए है, और हालांकि लड़की होते हुए उसने इसका विद्रोह किया था, यह उसकी मन:स्थिति का हिस्सा था. इसलिये, मैंने इस स्थिति को स्वीकारा और रुक गया. मैंने कहा, 'ठीक है, तो फिर तुम मुझे क्या देना चाहोगी; मैं लेने के लिए तैयार हूं'. हम वहा चुपचाप बैठे रहे, और फिर उसने कहा कि वह मुझे मैंने जो कुछ किया था उसके लिये अपनी प्रशंसा देना चाहती थी.

यह कहने के बाद उसने मेरे साथ दोबारा आगे बढने के लिए स्वयं को सुरक्षित महसूस किया. आसामी के साथ क्या हो रहा है, उसके हर क्षण को सुनना और उनकी लय के साथ उन्ही जगहों पर रहना बहुत महत्वपूर्ण है. मैंने उससे पूछा कि डर कहाँ था – उसने उत्तर दिया कि उसके अंदर. उसने कहा कि इसका भाला उसके दिमाग में चुभ कर दर्द कर रहा है. मैं अब उसके साथ सीधे सम्बधात्मक विधा में चला गया. मैंने उसे बताया कि मुझे उसके दर्द से बहुत दुःख हो रहा था, बहुत दुःख. मैं उसे सुरक्षा देने के लिए बचाना चाहता था लेकिन जानता नहीं था कि कैसे किया जाये.

मवह बहुत ज्यादा द्रवित हो गई और हम कुछ समय के लिए चुपचाप बैठे रहे. यह एक मुख्य बदलाव था – कोई जो उसकी परवाह करे, जो उसके साथ हो सके, सुरक्षात्मक रूप में, फिर चीजों को ठीक करने में जल्दबाजी न करे. यह 'मेरा-तुम्हारा' क्षण था, दो व्यक्ति पूरे सम्पर्क में. मैं चिकित्सक था और वह आसामी थी, लेकिन उस जगह हम दो व्यक्ति थे, एक दूसरे के साथ बैठे हुए, और स्थिति के गहरे दर्द के साथ. मैंने उसकी पीड़ा को गंभीरता से लिया – सिर्फ एक आनंद देने वाला प्रयोग नहीं, केवल एक डर का आकर नहीं, बहुत से दशकों का हिंसा का डर. उस जगह पर बैठे हुए हम दोनों के दिल खुल चुके थे. मैं बहुत गहराई तक द्रवित हो गया था, और वह भी. हम दोनों ने यही कहा.

फिर मैंने कहा – मेरे पास भी एक भाला है, यह सुरक्षा का भाला है. मैंने उससे अपने भाले के साथ अपने दिल के अन्दर लेने को कहा. वह इसे आसानी से कर पाई, और उसके आंसू निकल आये. वह सुरक्षित महसूस कर रही थी जिसकी परवाह की जाती हो.

इसे कहा जाता है कि स्वयं की वस्तु जिसे अपने अंदर लिया गया हो . इसका अर्थ है कि उसके अंदर एक आधिकारिक आकार है जो उसके लिये है, जैसे कि उसका पिछला अनुभव था एक प्राधिकारी जो उसके अंदर बढ़ रहा था वह दबाने वाला था और उससे यह उम्मीद की जाती थी वह अपने जीवन में आदमियों के लिए थी. हालांकि चिकित्सा में कुछ ज्यादा नहीं हुआ था, इसका बहुत ज्यादा प्रभाव पड़ा था. अंत में मैंने उससे पूछा कि अपने पेशे में जाने के लिए उसका डर अब कहाँ था. उसने कहा कि उसे नहीं लगता कि उसे अब धमकाया जा रहा था.

अब यह काम का वो भाग है जिसमें संबंधों पर चिकित्सा जारी रहनी चाहिए, और एक मुद्दत की हिंसा के बाद इससे निपटा जा रहा है . मैं इसको सतर्कता पूर्वक देखता रहना चाहूँगा, क्योकि यह अभी भी संभव है कि हिंसा फिर से शुरू हो जाये, और एक पेशेवर की तरह, और साथ ही साथ एक ध्यान रखने वाले व्यक्ति कि तरह, मैं यह निश्चित करना चाहूँगा कि मैं किसी भी रूप में इसका भागीदार न बनूँ.



 प्रस्तुतकर्ता  Steve Vinay Gunther